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इतिहास क्या है?
Ans- इतिहासकार ई एच कार के अनुसार इतिहास भूत और
वर्तमान के बीच संवाद है।
History is
the dialog between past and present.
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इतिहास
को क्रमश: तीन भागों में बांटा जाता है-
1. प्राक् इतिहास (Pre-history)- इस काल का कोई भी लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं है
तथा इस काल के इतिहास को जानने का एकमात्र स्रोत उत्खनन अर्थात् खुदाई से प्राप्त
सामग्री है।
उदाहरण
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पुरापाषाण काल (Paleolithic Age) –
o
इस काल
के लोग आखेटक अर्थात् शिकारी थे। बड़े-बड़े पत्थरों की सहायता से शिकार करते थे।
नदी घाटी के आस-पास रहते थे। कंदराओं अर्थात् गुफाओं में रहते थे।
भीमबेटका की
गुफा चित्रकारी इस काल की महत्वपूर्ण विशेषता है।
भीमबेटका में की गयी चीत्रकारी |
भीमबेटका में की गयी चीत्रकारी |
भीमबेटका में की गयी चीत्रकारी |
भीमबेटका में की गयी चीत्रकारी |
भीमबेटका में की गयी चीत्रकारी |
भीमबेटका में की गयी चीत्रकारी |
सम्भवत: आग की प्रथम जानकारी
इसी काल में हुई होगी।
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मध्यपाषाण काल –
o
इस काल
में लोगों के आकार में कमी आयी। परिणामस्वरूप दो बड़े- बड़े पत्थर को आपस में
टकराया गया जिससे पत्थर के छोटे- छोटे चीप्स तैयार हुए, जिसको लकड़ी या हड्डी
में खोंसकर शिकार किया जाता था। वास्तव में मध्यपाषाण काल में प्रयोग किये गये
उपकरण को पत्थर के लघु उपकरण अर्थात् Microlith के नाम
से जाना जाता है।
o
मध्य
प्रदेश के आदमगढ़ तथा राजस्थान के बागौर से पशुपालन के संबंध में प्राचीनतम्
साक्ष्य प्राप्त होते हैं।
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नवपाषाण काल (Neolithic Age) –
o
चुकी
पहली बार कृषी का प्रचलन इसी काल में हुआ, इसी कारणवस नवपाषाण काल को नवपाषाणकालीन
क्रांति के नाम से जाना जाता है।
o
आग का
प्रयोग एवं आविष्कार नवपाषाण काल में ही सम्भव हुआ।
o
चाक का
आविष्कार, पहिया का आविष्कार इसी काल में सम्भव हुआ।
2. ऐतिहासिक काल (Pro-history)- वैसा ऐतिहासिक काल जिस काल का लिखित साक्ष्य
उपलब्ध हो तथा जिसे पढ़ा भी जा सका हो, उसे ऐतिहासिक काल के नाम से जाना जाता है।
उदाहरण
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6ठी
शताब्दी ई. पू. के बाद का सारा इतिहास Pro history के
अंतर्गत आता है।
नोट- अक्सर यह विवाद का प्रश्न है कि Pre-history और Pro history में महत्वपूर्ण
कौन है? तो यह सर्वविदित है कि Pre-history, Pro history के तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि Pre-history के अंतर्गत जो भी सामाग्रीटिंग्स प्राप्त होती
है वह खुदाई के माध्यम से प्राप्त होती है तथा इसका वैज्ञानिक विश्लेषण संभव
है। इसके विपरित Pro-history
के अंतर्गत चुकी सारे सामग्री लिखे हुए होते हैं।
इस कारणवस इसमें Interpretation
की संभावना रहती है। यही कारण है कि Pro-History की तुलना में Pre-history अधिक महत्वपूर्ण एवं प्रसंगिक है।
3. आद्य-ऐतिहासिक काल (Protohistory) -
वैसा काल जिसका लिखित
साक्ष्य तो उपलब्ध है परंतु पढ़ा नहीं जा सकता है।
उदाहरण-
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सिंधु
घाटी सभ्यता – सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि पिक्टोग्रफिक अर्थात् भावचित्रात्मक
है। जिसके विषयवस्तु को चित्र के माध्यम से समझाया गया है। यही कारण है कि सिंधु
सभ्यता के लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
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कुछ
इतिहासकार वैदिक काल को भी Proto-history के अंतर्गत शामिल
करते हैं।
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