शायरी

हर शायर की शायरी के पीछे गम नही होता 
हर शेर में यारो इश्क छुपा नही होता
शेर शायरी बस बहाना है कि उन उल्टे सवालों को पुछने का 

कि ये होता तो क्या होता है  वो होता तो क्या होता ...




जिंदगी में कई मुस्किलें आती हैं,
और इनसान जिंदा रहने से घबराता है,
ना जाने कैसे हजारों कांटों के बीच,
रहकर भी एक फूल मुस्कुराता है ...

जब मैंने "दारू"
पहली बार पी थी,

में खुद अपनी नज़र
में गिर गया था.......

और मैंने दारू छोड़ने का
फैसला कर लिया ?

लेकिन तब मैंने,
इन तमाम लोगों के बारे में सोचा..... .

किसान-जो अँगूर उगाते है।

वो "दारू" फेक्टरी के मजदूर,

वो कांच की बोतल की फेक्टरी में काम करने वाले मजदूर,

वो "बार" में नाचने वाली गरीब
बार डांसर,

वो "बार"में काम करने वाले वेटर,

वो "कबाड़ी" जो बोतल इकट्ठा कर अपना अपनी रोजी रोटी कमाते है,

इन सबको लादकर चलने वाले गरीब ट्रक ड्राइवर ,

और उनके बीबी बच्चों के बारे में सोचा तो मेरी आंख भर आयी,

और बस......
उसी पल फैसला किया की अबसे,

में रोज पियूँगा........

क्योंकि .........

"अपने लिये तो सब जीते है,
हम तो गरीबों के लिये पीते है"

प्लीज़ सेन्ड टू आल फ्रेंड

लेट देम आलसो ज्वाइन अस.....

जीयो और जीने दो,

पीयो और पीने दो............






एक दुकान के बाहर लिखा था: 'इन्सानों की तरह बात करने वाला कुत्ता बिकाऊ है.'

एक आदमी दुकानदार से जाकर बोला: 'मैं उस कुत्ते को देखना चाहता हूं...' दुकानदार ने कहा: 'साथ के कमरे में बैठा है, जा कर मिल लो।'

ग्राहक उस कमरे में गया। कुर्सी पर एक हट्टा-कट्टा कुत्ता बैठा था. पूछा: 'क्यों भई, तुम यहां क्या कर रहे हो?'

कुत्ते ने बताया: 'कर तो मैं बहुत कुछ सकता हूं, लेकिन आजकल इस दुकान की रखवाली करता हूं. इससे पहले अमेरिका के जासूसी महकमे में काम करता था और कई खूंखार आतंकवादियों को पकड़वाया... फिर मैं इंग्लैंड चला गया जहां पुलिस के लिए मुखबरी करता था. एक साल बाद यहां आ गया.'

उस आदमी ने दुकानदार से पूछा: 'इतने गुणवान कुत्ते को आप बेचना क्यों चाहते हैं?'

'अव्वल नम्बर का झूठा है...'







हाँ पापामैंने प्यार किया था
उसी लड़के से
जिसे आपने मेरे लिए ढूँढा था।

उसी लड़के से
जो बेटा था आपके ही मित्र का।
हाँ पापामैंने प्यार किया था बस उसी से।

फिर क्या हुआ?
क्यों नहीं बन सकी मैं उसकी और वो मेरा?

मैंने तो एक अच्छी बेटी का
निभाया था ना फर्ज?
जो तस्वीर लाकर रख दी सामने
उसी को जड़ लिया था अपने दिल की फ्रेम में।

फिर क्यों हुआ ऐसा कि
नहीं हुआ उसे मुझसे प्यार?

क्या साँवली लड़कियाँ
नहीं ब्याही जाती इस देश में?

क्यों लिखते हैं कवि झूठी कविताएँ?
अगर होता जो मुझमें सलोनापन तो
क्या यूँ ठूकरा दी जाती
बिना किसी अपराध के?

पापाआपको नहीं पता
कितना कुछ टूटा था उस दिन
जब सुना था मैंने आपको यह कहते हुए
'बसथोड़ा सा रंग ही दबा हुआ है मेरी बेटी का
बाकि तो कुछ कमी नहीं।

उफमैं क्यों कर बैठी उस शो-केस में रखे
गोरे पुतले से प्यार?

मुझे देख लेना था
अपने साँवले रंग को एक बार।

सारी प्रतिभासारी सुघड़ताएँ
बस एक ही लम्हे में सिकुड़ सी गई थी।
और फैल गया था उस दिन
सारे घर में मेरा साँवला रंग।

कोई नहीं जानता पापा
माँ भी नहीं।
हाँमैंने प्यार किया था
उसी लड़के से
जिसे ढूँढा था आपने मेरे लिए।

Phool bankar muskarana zindagi,
muskarake gum bhulana zindagi,
jeet kar koi khush ho to kya hua,
haar kar khushiya manana bhi zindagi…



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