Thursday, July 19, 2018

'ऐ भाई जरा देख के चलो...' के गीतकार अब नहीं रहे, कौन थे ये महान गितकार


सोये चाँद-सितारे, भू-नभ, दिशि-दिशि स्वप्न-मगन हैपी-पीकर निज आग जग रही केवल मेरी प्यास है !
जल-जलकर बुझ जाऊँ, मेरा बस इतना इतिहास है !!
Gopal Das Niraj


कवि और गितकार गोपाल दास नीरज ने ये पंक्तियां शायद खुद के लिए लिखी थी। आज गोपाल दास नीरज की मृत्‍यू हो गयी। कह सकते हैं कि हिंदी साहित्‍य का एक चमकता सीतारा खो गया। 
मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसे अनेक ि‍फिल्‍मों में इन्‍होनें गाने ि‍दिये हैं। इन्‍हें तीन बार ि‍फिल्‍म फेयर पुरस्‍कार भी ि‍मिला। 

प्रमुख कविता संग्रह (साभार- www.wikipedia.org)

  • संघर्ष (1944)
  • अन्तर्ध्वनि (1946)
  • विभावरी (1948)
  • प्राणगीत (1951)
  • दर्द दिया है (1956)
  • बादर बरस गयो (1957)
  • मुक्तकी (1958)
  • दो गीत (1958)
  • नीरज की पाती (1958)
  • गीत भी अगीत भी (1959)
  • आसावरी (1963)
  • नदी किनारे (1963)
  • लहर पुकारे (1963)
  • कारवाँ गुजर गया (1964)
  • फिर दीप जलेगा (1970)
  • तुम्हारे लिये (1972)
  • नीरज की गीतिकाएँ (1987)

फिल्म फेयर पुरस्कार

नीरज जी को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्नीस सौ सत्तर के दशक में लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया। उनके द्वारा लिखे गये पुररकृत गीत हैं-

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